कर्टेन रेज़र में ‘एआई की दुनिया में साहित्य’ पर सत्र, डॉ. विक्रम सम्पथ और संदीप सिंह चौहान रहे प्रमुख वक्ता

देहरादून – देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल (डीडीएलएफ़) ने अपने 7वें संस्करण की घोषणा कर दी है, जो की 14, 15 और 16 नवंबर 2025 को दून इंटरनेशनल स्कूल, देहरादून में आयोजित किया जाएगा। इस बार का आयोजन थीम “वसुधैव कुटुम्बकम – वॉयसेज़ ऑफ यूनिटी” पर आधारित होगा, जो शब्दों की ताकत और विविध संस्कृतियों को जोड़ने की क्षमता को रेखांकित करेगा। खास बात यह है कि फेस्टिवल की शुरुआत 14 नवंबर – बाल दिवस पर होगी और इस वर्ष उत्तराखंड राज्य तथा उसकी राजधानी देहरादून अपने 25 वर्ष भी पूरे कर रहे हैं। इस संस्करण का एक प्रमुख फोकस सस्टेनेबिलिटी (स्थिरता) भी रहेगा।
फेस्टिवल की घोषणा के लिए कर्टेन रेज़र कार्यक्रम आज नई दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत फेस्टिवल डायरेक्टर सौम्या के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद “एआई की दुनिया में साहित्य” विषय पर एक विचारोत्तेजक सत्र आयोजित हुआ। इस सत्र में डॉ. विक्रम सम्पथ और संदीप सिंह चौहान ने भाग लिया, जिसका संचालन अदिति महेश्वरी ने किया। यह चर्चा आगामी फेस्टिवल में होने वाले सार्थक संवादों की झलक साबित हुई।
फेस्टिवल के संस्थापक सम्रांत विरमानी ने कहा, “हर वर्ष हमारा उद्देश्य देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के माध्यम से प्रोत्साहित करना, प्रेरित करना और विचारोत्तेजक संवाद आयोजित करना रहा है। हमें यह घोषणा करते हुए खुशी है कि एक और रोमांचक संस्करण आयोजित होने जा रहा है, जो प्रतिष्ठित लेखकों, कवियों, कलाकारों, विचारकों, सांस्कृतिक प्रतीकों और रचनात्मक आवाज़ों को एक साथ लाएगा। यह महोत्सव समुदाय के लिए और समुदाय का उत्सव है – जिसमें हम भारत की समृद्ध विरासत का सम्मान करते हैं और विविध आवाज़ों को अपनाते हुए पीढ़ियों तक संवाद की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।”
“हमें इस बात पर गर्व है कि हमारा उत्सव अब भी एक नि:शुल्क और सभी के लिए खुला आयोजन है — इस विश्वास पर आधारित कि साहित्यिक और सामाजिक आयोजन सभी के लिए सुलभ होने चाहिए, विशेषकर छात्रों के लिए, जो हमारे आने वाले समय के पाठक, लेखक और रचनात्मक दूरद्रष्टा हैं।”
इस बार का फेस्टिवल साहित्य, सिनेमा, संगीत, प्रदर्शन, खानपान और संस्कृति का बहुआयामी संगम होगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ दो चर्चाओं का नेतृत्व करेंगे – एक, स्कूल के विद्यार्थियों के साथ “वी द स्टूडेंट्स: डायलॉग ऑन डेमोक्रेसी” और दूसरी “न्याय, लोकतंत्र और भारत की अवधारणा” पर। लेखकों में दिव्या प्रकाश दुबे, अभय के., अनामिका, सैम डालरिम्पल, रूपा पाई और शोभा थरूर श्रीनिवासन शामिल होंगे, जो कहानी कहने, इतिहास और नए साहित्यिक स्वर पर चर्चा करेंगे। “कहानी जंक्शन” और “सीता की कथा पुनः प्राप्त” जैसे सत्र विशेष आकर्षण होंगे।
सिनेमा और परफॉर्मिंग आर्ट्स में नंदिता दास और लीना यादव के साथ महिला निर्देशकों का विशेष राउंडटेबल होगा। “अपना अपना नॉर्मल” और “पिक्चर अभी बाकी है” जैसे सत्र में अभिनेता और फिल्मकार अपने अनुभव और संघर्ष साझा करेंगे।
संगीत और संस्कृति के क्षेत्र में मालिनी अवस्थी अपनी आत्मकथा “चंदन किवाड़” पर चर्चा करेंगी और “साउंड ऑफ वीमेन – फोक रिदम्स फ्रॉम उत्तराखंड” प्रस्तुत करेंगी। युवा ऊर्जा जोड़ने के लिए ओशो जैन, वेदी सिन्हा (आह्वान प्रोजेक्ट) और बुलंद हिमालया अपने लाइव म्यूज़िक से शामों को रोशन करेंगे। आध्यात्मिक गुरु जया किशोरी अपनी नई किताब “लिविंग द इट्स ओके पाथ” पर विचार साझा करेंगी, वहीं प्रसिद्ध वेलनेस एक्सपर्ट रुजुता दिवेकर स्वास्थ्य और जीवनशैली को केंद्र में लाएंगी। फेस्टिवल में स्वाद का तड़का लगाने के लिए नामचीन शेफ सुवीर सरन भोजन को विरासत और कहानी के रूप में प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ शोभा डे, भावना सोमाया, शेफाली शाह और उषा उत्थुप जैसी शख्सियतें अपने अनुभव साझा करेंगी।
हर वर्ष की तरह इस बार भी तीन प्रतिष्ठित पुरस्कार दिए जाएंगे – रसकिन बॉन्ड साहित्य पुरस्कार (साहित्य में योगदान के लिए), शिवानी – आयरन लेडी ऑफ द हिल्स पुरस्कार (साहस और सशक्तिकरण के लिए) और गार्डियंस ऑफ हिमालयाज पुरस्कार (हिमालयी विरासत और प्रकृति संरक्षण के लिए)।
देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल का 7वां संस्करण एक बार फिर देहरादून को विचारों और प्रेरणाओं के केंद्र में बदल देगा, और शहर की पहचान को भारत के सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक उत्सवों में से एक के रूप में और मजबूत करेगा।