90 फीट ऊंचे नए ध्वजदण्ड को कंधों पर उठाकर दरबार साहिब पहुंची संगतें

  • श्री गुरु राम राय जी महाराज व श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के जयकारों से निहाल हुई संगतें
  • श्री दरबार साहिब लाए गए नए ध्वजदण्ड का परंपरा के अनुसार विधि विधान से हुआ पूजन
     
    देहरादून। श्री गुरु राम राय जी महाराज व श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के जयकारों के साथ 90 फीट ऊंचे नए ध्वजदण्ड (नए श्री झण्डे जी) को श्री दरबार साहिब लाया गया। रविवार को देश विदेश से हज़ारों की संख्या में आई संगतें इस पावन बेला का साक्षी बनीं। रविवार सुबह 6ः30 बजे संगतों के श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल, बॉम्बे बाग पहुंचने का क्रम शुरू हुआ। वहां पर दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज के सज्जादेगद्दी नशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने संगत को दर्शन दिए व आशीर्वाद दिया। श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज की अगुवाई में संगतों ने अरदास पढ़ी व सुबह 8ः00 बजे संगतों ने नए ध्वजदण्ड को अपने कंधों पर उठाकर श्री दरबार साहिब के लिए प्रस्थान किया। श्री दरबार साहिब परिसर में पहुंचते ही संगतों ने ढोल नगाड़ों की थाप पर जमकर नृत्य किया। रविवार सुबह पथरी बाग क्षेत्र का नज़ारा पूरी तरह भक्तिमय नज़र आया। श्रद्धा, उमंग, उल्लास व गुरु भक्ति के बीच श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल बॉम्बे बाग के प्रांगण में जैसे ही संगतों ने नए पवित्र ध्वजदण्ड को अपने कंधों पर उठाया, पूरा क्षेत्र श्री गुरु राम राय जी महाराज, श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज व श्री झण्डे जी के जयकारों से गूंज उठा। श्री गुरु राम राय पब्ल्कि स्कूल बाम्बे बाग से टीएचडीसी चौक, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के सामने से होते हुए संगतें पवित्र ध्वजदण्ड को लेकर लाल पुल चौक पर पहुंचीें। वहां से मातावाला बाग, सहारनपुर चौक होते हुए संगतें नए ध्वज दण्ड को लेकर सुबह 9ः30 बजे श्री दरबार साहिब पहुुंची। जिन रास्तों से संगतें नए पवित्र ध्वजदण्ड को लेकर गुजरीं, उन रास्तों पर दूनवासी श्रद्धाभाव के साथ स्वागत के लिए पुष्प लिए खड़े रहे। हज़ारों दूनवासी सुबह से ही इस अद्भुत बेला का साक्षी बनने के लिए पलके पावड़े बिछाए इंतजार करते रहे। जहां-जहां से संगत नए झण्डे जी (पवित्र ध्वज दण्ड) को लेकर आगे बढ़तीं, श्रद्धपूर्वक शीश झुक जाते, दूनवासी पुष्पवर्षा करते हुए जोरदार जयकारों के साथ संगत का स्वागत करते गए । दूनवासियों ने गुरु महिमा की पावन सरोवर में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। रास्ते भर दूनवासियों ने संगत का व नए पवित्र ध्वजदण्ड का फूलों की बारिश के साथ जोरदार स्वागत किया। जहां जहां से संगत गुजरती दूनवासी उनका अभिवादन करते व श्री गुरु महाराज के जयकारे लगाते। रास्ते में जगह-जगह पर संगत के  स्वागत के लिए शबील, पानी, फल आदि लंगर की व्यवस्था की गई थी।
    काबिलेगौर है कि साल के पेड़ की लकड़ी को नए श्री झण्डे जी के लिए तैयार किया गया है। पिछले करीब 2 महीने से श्री झण्डे जी के नए ध्वजदण्ड को तैयार करने में कई कारीगर लगे हुए थे। ऐतिहासिक श्री झण्डे जी मेले की तैयारियों के मद््देनज़र श्री दरबार साहिब में संगतों के पहुंचने का क्रम तेज़ हो गया है। इस वर्ष नए श्री झण्डे जी चढ़ाए जाएंगे, शनिवार देर शाम से ही श्री दरबार साहिब परिसर में विशेष चहल पहल शुरू हो गई थी। पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल उत्तराखण्ड सहित आसपास के राज्यों से हज़ारों की संख्या में संगतें शनिवार शाम को श्री दरबार साहिब पहुंच गई  थी। दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज के सज्जादे गद्दी नशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज की अगुवाई मंे संगतों ने रविवार सुबह 6ः00 बजे श्री दरबार साहिब परिसर से जयकारे लगाते हुए प्रस्थान किया। ढोल नगाड़ों व वाद्य यन्त्रों की धुनों पर संगतें श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारे लगाती जिससे पूरी दून घाटी गुरुमई हो गई। श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने कहा कि श्री झण्डा महोत्सव प्रेम, स्नेह सद्भाव, भाईचारा, मानवता, श्रद्धाभाव व आस्था से ओतप्रोत मेला है। इस मेले में सभी धर्मों से जुड़े लोग श्री गुरु राम राय जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री झण्डे जी मेले को पूरी आस्था व श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाएगा।
    19 मार्च से शुरू होगा ऐतिहासिक श्री झण्डा महोत्सवः 19 मार्च को ऐतिहासिक श्री झण्डे जी का आरोहण होगा। इसी के साथ श्री झण्डा महोत्सव का विधिवत शुभारंभ हो जाएगा। दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज के सज्जादे गद्दी नशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज की अगुआई में 19 मार्च को 90 फीट ऊंचे श्री झण्डे जी का अरोहण किया जाएगा। श्री दरबार साहिब प्रबन्धन का अनुमान है कि इस पावन बेला का साक्षी बनने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु श्री दरबार साहिब पहुंचने वाले हैं। श्री दरबार साहिब प्रबन्धन, श्री झण्डा मेला आयोजन समिति के मुख्य व्यवस्थापक मधुसूदन सेमवाल ने जानकारी दी कि दरबार साहिब प्रबन्धन की ओर से संगतों के ठहरने की समुचित व्यवस्था कर ली गई है। श्री गुरु राम राय राय पब्लिक स्कूल बिंदाल, श्री गुरु राम राय राय पब्लिक स्कूल तालाब, श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल राजा रोड, श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल भण्डारी बाग, श्री गुरु राम राय राय पब्लिक स्कूल पटेल नगर सहित दून की सभी प्रमुख धर्मशालाओं में संगतांे के ठहरने की व्यवस्था की गई है। एक दर्जन छोटे बड़े लंगरांे की भी व्यवस्था की गई है। सुरक्षा व्यवस्था व स्वास्थ्य व्यवस्था के अन्तर्गत जल्द ही मेला थाना व मेला अस्पताल शुरू हो जाएगा।
    यूसीसी में लिव इन रिलेशन के प्रावधान पर आपत्ति दर्ज की, सीएम को लिखा पत्र
    देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस महामंत्री राजेन्द्र शाह ने राज्य मे ंलागू यूसीसी में लिव इन रिलेशन का प्रावधान किये जाने पर आपत्ति दर्ज करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिख कर राज्य में लिव इन रिलेशन का प्रावधान समाप्त किये जाने की मांग की। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में प्रदेश कंाग्रेस महामंत्री राजेन्द्र शाह ने कहा कि उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में यू.सी.सी. लागू की गई है। उत्तराखंड सदियों से अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों के लिए प्रसिद्ध है तथा यहां का समाज सनातन परंपराओं और पारिवारिक संस्कारों पर टिका हुआ है। देवभूमि की सांस्कृतिक और नैतिक मर्यादाओं को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि यू.सी.सी. से लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए। राज्य में यू.सी.सी. लागू होने के उपरान्त जिस गति से लिव-इन रिलेशनशिप जैसी प्रथाएं तेजी से पैर पसार रही हैं। यह न केवल हमारी सामाजिक संरचना को कमजोर करेगा, बल्कि युवाओं को नैतिक रूप से भटकाने का भी कार्य करेगा, बावजूद, राज्य सरकार ने यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता देने का काम किया है, जो सर्वथा अनुचित है। यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप के प्रावधान के कारण निम्न दूरगामी परिणामों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि संस्थानिक विवाह की अवहेलनाः- लिव-इन रिलेशनशिप पवित्र वैवाहिक संबंधों को कमजोर करने के साथ ही परिवार नामक संस्था को नष्ट करने की दिशा में ले जायेगा। महिलाओं के प्रति अन्यायः- लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर कोई ठोस कानूनी प्रावधान नहीं हैं, जिससे उन्हें भावनात्मक और सामाजिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। बच्चों का भविष्य अनिश्चितः-यदि ऐसे रिश्तों से संतान उत्पन्न होती है तो उनके कानूनी अधिकार और सामाजिक पहचान संकट में पड़ जाती है। नैतिक और सांस्कृतिक गिरावटः- उत्तराखंड जैसे धार्मिक राज्य में ऐसी प्रथाएँ हमारी आध्यात्मिकता और पौराणिक संस्कृति को कमजोर करने का काम करेंगी। अपराध और धोखाधड़ी में वृद्धिः- कई बार ऐसे संबंधों में धोखा, विश्वासघात, घरेलू हिंसा और हत्या तक की घटनाएँ सामने आती हैं। समाज में अस्थिरताः- यदि लिव-इन रिलेशनशिप को सामान्य बना दिया गया, तो परिवार नाम की संस्था कमजोर होगी, जिससे समाज में अस्थिरता और नैतिक पतन की ओर बढ़ेगी।
    राजेन्द्र शाह ने कहा कि यूसीसी के अध्याय 5 का नियम 4 कहता है कि माता पिता की डिटेल्स तभी देनी होगी जब दोनों पार्टनर्स में किसी एक की आयु 21 वर्ष से कम हो तथा सरकार का ये कथन कि इससे रोक लगेगी लिव इन रिलेशनशिप में ये पूर्णतः असत्य है। कोई भी व्यक्ति यहाँ की महिलाओं के साथ रहेगा और जब मन करे एक प्रार्थना पत्र देकर छोड़ देगा ये कैसा महिला सम्मान है। उन्होंनें कहा कि  सरकार संविधान की धारा 44 का सहारा लेकर यूसीसी तो ला सकती है लेकिन एक ऐसा कृत्य जो पूर्णतः भारतीय संस्कृति के विपरीत है उस कृत्य को यूसीसी में दायरे में लाना मतलब देवभूमि की संस्कृति उसके रीति-रिवाजों के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। उत्तराखंड सरकार राज्य में लागू यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप की मान्यता को समाप्त करती है तो यह न केवल हमारी संस्कृति की रक्षा करेगा, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में भी सहायक होगा। राजेन्द्र शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग करते हए कहा कि इस विषय पर गंभीरता से विचार करें और देवभूमि उत्तराखंड को आधुनिक विकृतियों से बचाने हेतु यूसीसी से लिव-इन रिलेशनशिप का प्रावधान समाप्त करें।
    ब्रह्मानूभूति होने के उपरांत ही होता है जीवन में भक्ति का आरम्भदेहरादून। परमात्मा जानने योग्य है इसे जाना जा सकता है, जब जिज्ञासु को जनाने वाला मिल जाए। हम सभी यहां विशाल रूप में यही चर्चा कर रहे हैं कि हमारे जीवन में निरंकारी सतगुरु के सानिध्य से हम सबने इस रमे राम को जाना है, जो पहले भी हमारे साथ था लेकिन ज्ञान की नजर पूर्ण सद्गुरु से ही प्राप्त हुई । युद्ध के मैदान में अर्जुन को भी ऐसी नजर भगवान श्री कृष्ण जी ने दी तब अर्जुन ने हाथ जोड़ कर प्रार्थना की आप की कृपा से ही मैंने आपके निराकार रूप का दर्शन किया और आपका जो विराट स्वरूप है जिसे शस्त्र काट नहीं सकता अग्नि जला नहीं सकती हवा उड़ा नहीं सकती पानी से इसे भिगाया जा नहीं सकता जो अखंड, अनंत, बेअंत कायम दायम रहने वाला  सर्वव्यापक परमात्मा है ।
    ऐसी परमसत्ता का संग ही सत्संग होता है जो ब्रह्मज्ञानी के लिए निरन्तर  जरूरी है।
    उक्त आशय के उदगार दिल्ली से पधारे सुखदेव सिंह (जनरल सेक्रेटरी संत निरंकारी मंडल) ने हरिद्वार बाईपास रोड स्थित निरंकारी सत्संग भवन के तत्वावधान मे रविवारिय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं राजापिता रमित का पावन संदेश देते हुए व्यक्त किये। मसूरी जॉन के ज़ोनल इंचार्ज हरभजन सिंह जी एवं स्थानीय संयोजक नरेश विरमानी जी ने दिल्ली से पधारे सुखदेव सिंह का आभार प्रकट करते हुए बाल संगत के बच्चों के द्वारा फूल का गुलदस्ता भेंट किया, और स्थानीय सेवादल के इंचार्ज मनजीत सिंह के नेतृत्व में सेवादल के भाई बहनों ने सुंदर रूप प्रदान किया।
    भगवान शिव के अनुसार परम गुरुदेव ही सबसे बड़े देवः जाह्नवी भारती

    देहरादून। एक बार फिर से ’दिव्य गुरु’सर्व आशुतोष महाराज की असीम अनुकम्पा एवम प्रेरणा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की देहरादून शाखा के द्वारा साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन निरंजनपुर स्थित आश्रम सभागार में किया गया। भावपूर्ण भजनों की सरस प्रस्तुति देते हुए संस्थाक के संगीतज्ञों द्वारा अनेक भजन संगत के समक्ष रखे गए। आश्रम में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में प्रचारिका साध्वी विदुषी जाह्नवी भारती जी ने गुरु भक्ति और सत्संग की महिमा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संतों और महापुरुषों का सानिध्य ही मनुष्य को ईश्वर की ओर प्रेरित करता है। सत्संग में मात्र परमात्मा की चर्चा होती है, जो जीवन को सार्थक बनाती है।
    उन्होंने देवी पार्वती और भगवान शिव के संवाद का उल्लेख करते हुए बताया कि पार्वती जी ने भगवान शिव से तीन प्रश्न पूछेकृसबसे बड़े देव कौन हैं? सबसे बड़ा धन क्या है? और वास्तव में तप क्या है? इन प्रश्नों के उत्तर में भगवान शिव ने कहा कि गुरु ही सबसे बड़े देव, सबसे बड़ा धन और सबसे बड़ा तप हैं। गुरु भक्ति ही सच्ची तपस्या है, और जो व्यक्ति अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पित होता है, वही जीवन में आध्यात्मिक सफलता प्राप्त करता है। साध्वी जी ने संत कबीर का उद्धरण देते हुए कहाकृष्कबीरा संगत साध की, साईं आवे याद, लेखे में सोई घड़ी, बाकी दिन बर्बाद।ष् उन्होंने समझाया कि केवल वही समय सार्थक है, जब मनुष्य गुरु और ईश्वर के चिंतन में रहता है। साध्वी जी ने स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस का उदाहरण देते हुए बताया कि गुरु के बिना आध्यात्मिक उन्नति संभव नहीं है। विवेकानंद की ईश्वर की खोज तब समाप्त हुई जब उन्हें परमहंस जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। उसी प्रकार, चौतन्य महाप्रभु ने भी गुरु आज्ञा के पालन को जीवन का परम धर्म  बताया है।

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