बाल उमंग दृश्य संस्था के बच्चों ने नुक्कड़ नाटक के जरिये उठाई आवाज

देहरादून : गोविंदगढ़ स्थित आजाद कॉलोनी की तंग गलियों में सोमवार को कुछ अलग ही हलचल थी। न लाउडस्पीकर था, न बड़े मंच की जरूरत, क्योंकि मंच तो खुद जमीन थी और आवाजें थी बाल उमंग दृश्य संस्था (बीयूडीएस) के बच्चों की, जिन्होंने संस्था के तत्वावधान में नुक्कड़ नाटक का मंचन किया।
इस नाटक का उद्देश्य दो बेहद संवेदनशील और जरूरी मुद्दों को उजागर करना था। बालिका शिक्षा का अधिकार और घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज। नन्हें कलाकारों ने सामाजिक समझ और अद्भुत अभिनय के माध्यम से इन विषयों को इस अंदाज में प्रस्तुत किया कि दर्शकों की आंखें नम और सोचने पर मजबूर हो गईं।
नाटक में यह दर्शाया गया कि कैसे लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जाता है और कैसे घरेलू हिंसा एक मौन महामारी बन चुकी है, जो अक्सर चारदीवारी के भीतर रह जाती हैं। बच्चों ने अपने अभिनय से यह सशक्त संदेश दिया कि हर लड़की को पढ़ने का अधिकार है और हर महिला को सम्मान और सुरक्षा का अधिकार है।
स्थानीय समुदाय, खासकर महिलाएं और युवा, बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। दर्शकों ने बच्चों की प्रस्तुति को सराहा और कई ने आगे आकर घरेलू हिंसा और लड़कियों की शिक्षा को लेकर अपने अनुभव साझा किए। यानी नुक्कड़ नाटक ने सिर्फ तालियां ही नहीं बटोरीं, बल्कि एक संवाद की शुरुआत कर दी। संस्था वर्षों से वंचित समुदायों के बच्चों और महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनाने का कार्य कर रही है। यह नुक्कड़ नाटक उसी प्रयास की एक झलक थी, जिसमें बच्चे न सिर्फ कलाकार थे, बल्कि बदलाव के वाहक भी बन गए।