जलालुद्दीन से कैसे बने छांगुर बाबा, जानें क्या है पूरी सच्चाई

उत्तर प्रदेश। बलरामपुर जिले के छांगुर बाबा का असली नाम जलालुद्दीन है। वह हाल ही में बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण रैकेट चलाने और इससे संबंधित वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में सुर्खियों में आए हैं। उनकी कहानी एक साधारण व्यक्ति से “पीर बाबा” बनने तक के सफर की है, जिस पर अब गंभीर आरोप लगे हैं।

छांगुर बाबा की कहानी
1. प्रारंभिक जीवन और “छांगुर” नाम:
जलालुद्दीन का जन्म बलरामपुर के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके बाएं हाथ में छह उंगलियां थीं, जिस कारण बचपन से ही लोग उन्हें “छांगुर” कहकर चिढ़ाते थे। उन्होंने इस नाम को अपनी पहचान बना लिया। शुरुआती दिनों में वह गांव-गांव घूमकर कपड़े और नकली गहने बेचा करते थे।

2. सामाजिक और राजनीतिक उदय
अपनी मेहनत और लोगों से मेलजोल की कला के कारण उन्होंने धीरे-धीरे इलाके में अपनी लोकप्रियता बढ़ाई। इस प्रभाव का इस्तेमाल उन्होंने राजनीतिक फायदा उठाने के लिए भी किया, और उनकी पत्नी ग्राम प्रधान का चुनाव जीत गईं। यहीं से छांगुर का सामाजिक रुतबा बढ़ना शुरू हुआ।

3. “पीर बाबा” का रूप और अवैध धर्मांतरण
लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही जलालुद्दीन ने खुद को “पीर बाबा” घोषित कर दिया। उन्होंने गांव में एक दरगाह बनवाई और अपनी आध्यात्मिक छवि गढ़ ली। लोग अब उन्हें श्रद्धा से “छांगुर बाबा” कहने लगे और उनकी दरगाह पर मन्नतें मांगने आने लगे।

लेकिन इस आध्यात्मिक आवरण के पीछे एक बहुत बड़ा अवैध धर्मांतरण का रैकेट चल रहा था। यह धर्मांतरण सिर्फ धार्मिक रूपांतरण नहीं, बल्कि समाज की संरचना को बदलने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा बताया जा रहा है। जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा ने खासकर कमजोर, गरीब और परेशान लोगों, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, को पैसों का लालच देकर या अन्य प्रलोभन देकर धर्मांतरण करवाया। इसके लिए उन्होंने एक “रेट लिस्ट” भी तय कर रखी थी, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोगों के धर्मांतरण के लिए अलग-अलग रकम निर्धारित थी।

4. अकूत संपत्ति और विदेशी फंडिंग
कभी साइकिल पर अंगूठी बेचने वाले छांगुर बाबा ने कुछ ही सालों में करोड़ों की संपत्ति बना ली। उनकी बलरामपुर में एक आलीशान 40 कमरों वाली कोठी थी, जिसमें एक गुप्त कंट्रोल रूम और विदेशी नस्ल के घोड़े, कुत्ते और जर्सी गायें भी रखी जाती थीं। जांच एजेंसियों को उनके और उनके सहयोगियों के 40 से अधिक बैंक खातों में 106 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन का पता चला है। ऐसा माना जा रहा है कि यह सारा पैसा विदेशी फंडिंग, खासकर खाड़ी देशों से आया था, जिसका इस्तेमाल धर्मांतरण रैकेट चलाने में किया जाता था।

5. पुलिस और प्रशासन में पैठ
छांगुर बाबा ने अपने अवैध धंधे को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी विभागों में भी अपनी गहरी पैठ बना ली थी। एसटीएफ की गोपनीय जांच में पुलिस से लेकर प्रशासन और अन्य सरकारी महकमों में उनके शागिर्दों के बारे में पता चला है।

6. कानूनी शिकंजा
हाल ही में अवैध धर्मांतरण के मामले में छांगुर बाबा और उनके सहयोगियों पर शिकंजा कसा गया है। उत्तर प्रदेश एटीएस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है और उनकी बलरामपुर स्थित अवैध कोठी पर बुलडोजर चला दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है और विदेशी फंडिंग के कनेक्शन की गहन जांच कर रही है।

संक्षेप में, छांगुर बाबा की कहानी एक साधारण फेरीवाले से शुरू होकर एक बड़े धर्मांतरण रैकेट के सरगना बनने तक की है, जिस पर अब कानून का शिकंजा कस गया है।

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