देहरादून : वरिष्ठ पत्रकार, शिक्षाविद, अभिनेत्री और सांस्कृतिक शोधकर्ता डॉ. अंजलि नौड़ियाल को ‘ब्रेस्ट कैंसर इन यंग वूमेन फाउंडेशन’ (BCYW Foundation, डेनवर, अमेरिका) की एम्बेसडर नियुक्त किया गया है। इस भूमिका में वे युवतियों में स्तन कैंसर की शीघ्र पहचान और रोकथाम को लेकर जनजागरूकता अभियान का नेतृत्व करेंगीं।

डॉ. अंजलि ने 1990 के दशक की शुरुआत में पत्रकारिता करियर आरंभ किया था और उत्तराखंड की पहली अंग्रेजी क्षेत्रीय पत्रिकाओं में से एक की संपादक बनीं। इसके पश्चात उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से संबद्ध आर्मी कैडेट कॉलेज में अंग्रेजी साहित्य पढ़ाया। संचार और लेखन के प्रति अपने जुनून को मिलाते हुए वे द टाइम्स ग्रुप से जुड़ीं और टाइम्स ऑफ डून नामक अभिनव परिशिष्ट के शुभारंभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो उत्तराखंड के विकास, संस्कृति और पर्यावरण संबंधी विषयों को समर्पित था।
पत्रकारिता के अतिरिक्त उनका पेशेवर जीवन अन्य क्षेत्रों में भी समान रूप से समृद्ध रहा है। उन्होंने गढ़वाल पोस्ट में फीचर एडिटर और हिमालयन हॉस्पिटल एवं स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में मीडिया प्रमुख के रूप में कार्य किया। अभिनय के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई और माझी, विराम, प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी, द बाथटब, पीसेज़ ऑफ पार्टिशन, 5th सितंबर, कैस लैला जैसी फिल्मों और पेशावर जैसी वेब सीरीज़ में अभिनय किया है।
संस्कृति मंत्रालय की वरिष्ठ फेलो के रूप में डॉ. अंजलि ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर पर व्यापक शोध किया है और ‘रिटैलिंग ऑफ द फोक बैलड्स ऑफ गढ़वाल’ नामक लोकप्रिय पुस्तक लिखी है, जो क्षेत्रीय स्तर पर बेस्टसेलर रही। उन्होंने ‘प्राइड ऑफ उत्तराखंड’, ‘नंदा देवी अवॉर्ड, गिआन अवॉर्ड’, ‘उमा शक्ति सम्मान’, मुख्यमंत्री पुरस्कार और उत्तराखंड रत्न जैसे अनेक सम्मान प्राप्त किए हैं। वर्तमान में वे कुमाऊंनी लोककथाओं और फिक्शन पर आधारित अपनी आगामी पुस्तकों पर कार्य कर रही हैं।
अंजलि ने बताया कि वे BCYW फाउंडेशन के माध्यम से विशेष रूप से शिक्षण संस्थानों और सामुदायिक स्तर पर युवतियों में स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में काम करेंगी। यह फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो अनुसंधान, शिक्षा और सर्वाइवरशिप के माध्यम से जीवन बचाने के लिए समर्पित है। यह विशेष रूप से 40 वर्ष से कम आयु की महिलाओं पर केंद्रित है। फाउंडेशन का उद्देश्य ऐसा भविष्य बनाना है जिसमें युवा महिलाओं की स्तन कैंसर से मृत्यु अत्यंत दुर्लभ हो सके।
