- सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच को तेज करने एवं विवादित कुलपति को शीघ्र कार्यमुक्त करने को राजभवन को दिया ज्ञापन।
देहरादून। वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में चल रही वित्तीय अनिमित्ताओं एवं सॉफ्टवेयर घोटाले को लेकर छात्र छह महीनो से सड़को पर आंदोलनरत थे। अब यूटीयू के कुलपति को बदला जा चूका है एवं नए कुलपति की नियुक्ति की जा चुकी है।
शनिवार को प्रेसवार्ता में डीएवी छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने छात्रों के आंदोलन को सफल होने पर सभी मीडिया बंधुओ का हार्दिक धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मीडिया ने छात्रों के आंदोलन की निष्पक्ष कवरेज करके हमेशा छात्रों का साहस बढ़ाया जिसके लिए छात्र हमेशा मीडिया के कृतार्थ रहेंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि नए कुलपति की नियुक्ति होने के बाद भी डॉ. ओमकार यादव अभी भी राजभवन के कुछ अपने चहेते अधिकारियों से मिलकर कार्यमुक्त होने में देरी करके उनके विरुद्ध चल रही सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच के सबूतों से छेड़छाड़ करने का परपंच रच रहे हैं।जिसको छात्र सहन नहीं करेंगे।उन्होंने कहा कि राज्यपाल के सचिव रविनाथ रामन किन कारणों से डॉ. ओमकार यादव को कार्यमुक्त करने में देरी कर रहे हैं इसकी भी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जाँच होनी चाहिए।
उन्होंने संदेह जताया कि विवादित कुलपति को कार्यमुक्त होने में देरी का मुख्य कारण विवादित सॉफ्टवेयर का 2 करोड़ का और बिल पास करवाना तथा डॉ. ओमकार यादव के विरुद्ध चल रही सॉफ्टवेयर घोटाले की जाँच के सबूतों से छेड़छाड़ करना है।
विश्वविद्यालय के एक्ट में प्राविधान है कि यदि नए कुलपति जोइनिंग में देर करे तब तक किसी सीनियर प्रोफेसर को ही कुलपति का चार्ज दिया जा सकता है।विवादित कुलपति की कार्यमुक्ति में देर करना छात्र हित में कतई उचित नहीं है।उन्होने बताया की सॉफ्टवेयर घोटाले की जाँच को तेज करने एवं विवादित कुलपति को शीघ्र कार्यमुक्त करने को लेकर राजभवन को ज्ञापन भी दिया गया है व साथ ही ज्ञापन देते हुए कुलाधिपति को कहा कि यदि सात दिन के अंदर ओंकार सिंह को हटाया नहीं गया व उनके खिलाफ उचित पारदर्शी कानूनी कार्यवाही नहीं की गई तो समस्त छात्रसंघ माननीय न्यायालय के समक्ष विधिक कार्यवाही के लिए अग्रसर होगा।
