Dehradun : दून लाइब्रेरी एवं शोध केंद्र में आयोजित “इंद्रमणि बडोनी सम्मान समारोह” में वरिष्ठ आंदोलनकारी एवं बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी को सम्मानित किया गया। “उत्तराखंड के गांधी” स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी के पुण्य तिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गढ़रत्न श्री नरेंद्र सिंह नेगी, विशिष्ट अतिथि पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, एवं राज्य के अन्य वरिष्ठ बुद्धिजीवी और आंदोलनकारी सौ से ज्यादा लोगों के साथ शामिल रहे। डॉ शैलेन्द्र मैठाणी, धात पत्रिका के संपादक श्री गणेश कुकसाल,पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, श्री गिरीश सुंद्रियाल एवं अन्य वरिष्ठ बुद्धिजीवियों और आंदोलनकारियों ने सभा को स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी के विचारों एवं श्री विजय जड़धारी के पिछले चार दशकों के संघर्षों पर संबोधित किया। श्रीमती बीना बेंजवाल ने सम्मान पत्र का वाचन किया और श्री नैथानी एवं श्रीमती निर्मला चौहान ने माला आरोपण किया। मुख्य अतिथि जन गायक नरेंद्र सिंह नेगी एवं श्री इंद्रमणि बडोनी चैरिटेबल फोहंडेशन के विनोद बडोनी के हाथों से श्री विजय जड़धारी को सम्मान पत्र एवं 51,000 रूपये का धनराशि को सौंपवाया गया। फिर श्री विजय जड़धारी ने सभा को संबोधित करते हुए श्री इंद्रमणि बडोनी के विचारों एवं सिद्धांतों को याद किया एवं उत्तराखंड राज्य में विकास के नाम पर पर्यावरण और पहाड़ों को जो नुकसान पहुंचाया जा रहा है, उसपर भी चिंता व्यक्त की।

कार्यक्रम में श्री इंद्रमणि बडोनी पर पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ जिसको गिरीश बडोनी एवं अनिल नेगी ने लिखा था और संपादन गणेश कुकसाल ने किया।
बताया जाए कि 2023 से हर साल श्री इंद्रमणि बडोनी चैरिटेबल फाउंडेशन की और से श्री इंद्रमणि बडोनी के पुण्यतिथि 18 अगस्त के अवसर पर “सम्मान समारोह” आयोजित किया जा रहा है जिसमें उत्तराखंड राज्य के सामाजिक या सांस्कृतिक सरोकारों में जिन लोगों का योगदान रहा, उनको सम्मानित करने का प्रयास किया जाता है। 2024 में गढ़रत्न लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को सम्मानित किया गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद सचिदानंद जोशी ने की और संचालन गिरीश बडोनी ने किया। बडोनी परिवार के श्रेष्ठ सुशीला देवी; श्री इंद्रमणि बडोनी चैरिटेबल फाउंडेशन के विनोद बडोनी, राजेंद्र शाह, और शंकर गोपाल; शीशराम कंसवाल, बालकृष्ण नौटियाल, सचिदानंद बडोनी, वीर विक्रम, अमर सिंह, राकेश डंगवाल, मुकेश उनियाल, शैलेन्द्र भट्ट, आलोक डंगवाल इत्यादि भी मौजूद रहे।