देहरादून: डीआईटी विश्वविद्यालय में आज एक दिवसीय एच आर कॉन्क्लेव विश्वविद्यालय के करियर डेवलपमेंट सेल की ओर से आयोजन किया गया जिसमें “भावी नेतृत्व के कौशल को उजागर करना” विषय पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सचिव स्किल डेवलपमेंट एंड एंप्लॉयमेंट डिपार्मेंट सी रविशंकर मौजूद रहे। इस मौके पर अन्य महानुभावों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के दौरान 80 के करीब कंपनियों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम की शुरुआत सभी मौजूद अतिथियों ने दी प्रज्वलित कर की । कार्यक्रम की शुरुआत डी आई टी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ रघुरामा ने अपने स्वागत भाषण के साथ की जिसमें उन्होंने जोर दिया कि मानव संसाधन (एचआर) हर कंपनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शिक्षा अनुसंधान, नवाचार और सैद्धांतिक ज्ञान में योगदान देती है, जबकि उद्योग वास्तविक दुनिया की चुनौतियों और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है।

आगे रहने और भविष्य की चुनौतियों के लिए चुस्त और अच्छी तरह से तैयार कार्यबल सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि
डीआईटी विश्वविद्यालय और आईएमएस यूनिसन ने एनएचआरडी के सहयोग से इस मानव संसाधन सम्मेलन का आयोजन किया।
डीआईटी एक बहु-विषयक विश्वविद्यालय है, जिसमें इंजीनियरिंग, कंप्यूटिंग, फार्मेसी, वास्तुकला और प्रबंधन सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता है।
आईएमएस यूनिसन आतिथ्य प्रबंधन, कानून, जनसंचार और अन्य विषयों में विशेषज्ञता रखता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सी रविशंकर ने अपने वक्तव्य में कहां की
यह भाषण भविष्य के नेतृत्व को सही कौशल के साथ तैयार करने के महत्व पर जोर देता है, खासकर तेजी से तकनीकी परिवर्तन के युग में। वक्ता, सी. रविशंकर ने कई प्रमुख विषयों पर प्रकाश डाला जिनमें भविष्य की कौशल आवश्यकताओं की अनिश्चितता मुख्य रहा। उन्होंने कहा कि
भविष्य अप्रत्याशित है, और आज प्रासंगिक कौशल सेट अप्रचलित हो सकते हैं।
शिक्षाविदों, उद्योग और नीति निर्माताओं के बीच निरंतर सहयोग भविष्य की जरूरतों की पहचान करने और उन्हें अपनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसी के साथ उन्होंने भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश विषय पर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत में 2047 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है।
हालांकि, कार्यबल को कौशल प्रदान करने में विफल रहने से अवसर छूट सकते हैं, जैसा कि उन देशों में देखा गया है जहां कामकाजी आबादी बूढ़ी हो रही है। सी रविशंकर ने रोजगार में प्रौद्योगिकी की भूमिका विषय पर बात करते हुए कहां की एआई और स्वचालन कई नौकरी भूमिकाओं की जगह ले लेंगे, लेकिन सहानुभूति, अखंडता और नैतिकता जैसे मूल मानवीय मूल्य अपूरणीय बने रहेंगे।
शिक्षा को तकनीकी कौशल के साथ-साथ इन मानवीय पहलुओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इसी के साथ उन्होंने डी आई टी विश्वविद्यालय एवं आईएमएस द्वारा आयोजित इस एच आर कॉन्क्लेव की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें बहुत खुशी है इस बात की कि वे इस कार्यक्रम का हिस्सा है और उनको बहुत गर्व महसूस हो रहा है यह बोलते हुए कि यह उत्तराखंड का पहला ऐसा कार्यक्रम है जहां पर इस तरह के विषयों पर चर्चा की जा रही है इसके लिए डी आई टी विश्वविद्यालय एवं आईएमएस बधाई के पात्र हैं।
कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि डॉ. टीवी राव अध्यक्ष टीवीआरएलएस, पूर्व प्रोफेसर आईआईएम अहमदाबाद फाउंडर प्रेसिडेंट ऑफ़ नेशनल एचआरडी नेटवर्क ने मूर्त बनाम अमूर्त संपत्ति विषय पर चर्चा की उन्होंने कहा कि 2025 तक, कॉर्पोरेट बाजार मूल्य का 90% अमूर्त संपत्ति होगी। अमूर्त (ब्रांडिंग, प्रतिष्ठा) पर अत्यधिक जोर मूर्त विकास (कौशल, बुनियादी ढांचे) द्वारा समर्थित होना चाहिए।
उदाहरण: भारतीय आईटी दिग्गजों ने अमूर्त संपत्तियों को मूर्त में सफलतापूर्वक परिवर्तित किया है। उन्होंने बताया कि एचआर सभी के लिए है।
एचआर एक विभाग से सभी व्यवसायों के लिए एक रणनीतिक कार्य में विकसित हुआ है।
मानव संसाधन ( एच आर) को केवल संख्याओं तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए – लोगों में अनंत क्षमताएँ हैं।
एचआर का महत्व अक्सर करियर में बाद में महसूस किया जाता है; इस पर शिक्षा के शुरुआती दौर में जोर दिया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान एनएचआरडीएन के नेशनल प्रेसिडेंट प्रेम सिंह सहित एनएचआरडीएन उत्तराखंड चैप्टर के अध्यक्ष मिस्टर अल्ताफ हुसैन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर वीभिन्न विषयों पर पैनल डिस्कशन का आयोजन भी किया गया जिनमें “पीढ़ीगत आकांक्षाओं को जोड़ना, सामूहिक भविष्य के लिए कार्यस्थल की गतिशीलता को समझना” और “एआई के युग में नियुक्ति के नए युग को समझना” विषय मुख्य रहे जिन पर चर्चा की गई
कार्यक्रम का समापन वाइस चांसलर आईएमएस यूनिवर्सिटी डॉ अनिल सुब्बाराव पायला ने सभी सम्मानित अतिथियों को मोमेंटो प्रदान कर एवं धन्यवाद भाषण सहित किया।
कार्यक्रम के कन्वीनर एवं प्लेसमेंट सेल DIT यूनिवर्सिटी प्रवीण सेमवाल एवं को कन्वीनर डॉक्टर प्रियंका चोपड़ा का विशेष सहयोग रहा।