देहरादून। हरिद्वार जमीन घोटाले में सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए जहां हरिद्वार के जिलाधिकारी कमेंद्र सिंह के अलावा एक आईएएस और पीसीएस अधिकारियों को निलंबित किया है तो वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में विजिलेंस जांच के आदेश भी दिए हैं।
शुरुआती कार्रवाई में शासन ने कुल दस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है, जबकि एक कर्मचारी की सेवा समाप्त और एक का सेवा विस्तार समाप्त किया है। मुख्यमंत्री ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच सतर्कता विभाग से कराए जाने के निर्देश दिए हैं, ताकि दोषियों की पूरी श्रृंखला का खुलासा हो सके और पारदर्शिता बनी रहे।
इसके अलावा भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र को निरस्त करते हुए भूस्वामियों को दिए गए धन की रिकवरी सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराए जाने के निर्देश दिए हैं, ताकि वित्तीय अनियमितताओं की समुचित जांच की जा सके।
जमीन घोटाले का पूरा मामला
दरअसल, ये पूरा मामला साल 2024 का है। साल 2024 में निकाय चुनाव के दौरान हरिद्वार नगर निगम का पूरा सिस्टम नगर आयुक्त के पास था। उस वक्त हरिद्वार नगर आयुक्त की जिम्मेदारी आईएएस वरुण चौधरी के पास थी। नगर निकाय चुनाव के कारण हरिद्वार जिले में आचार संहिता लगी हुई थी, तभी हरिद्वार नगर निगम ने 33 बीघा जमीन खरीदी थी। ये जमीन किस उद्देश्य से खरीदी गई थी, ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
जांच में अभी तक जो सामने आया है, उसके मुताबिक जो जमीन खरीदी गई है, उसके आसपास के इलाके में हरिद्वार नगर निगम का कूड़ा डंप किया जाता रहा है। इसीलिए वहां पर जमीन की कीमत कुछ ज्यादा नहीं थी, लेकिन नगर निगम और प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने कृषि भूमि को 143 में दर्ज करवाकर सरकारी बजट से 58 करोड़ रुपए में खरीदा।
