प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ के अनुरूप आयोजित इस कार्यक्रम में 350 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया

ऋषिकेश। स्वर्गाश्रम ट्रस्ट ने 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में पावन गंगा नदी के किनारे विशेष समारोह का आयोजन किया। इस वर्ष की थीम ‘योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ तथा प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुसार पूरी दुनिया को योग के माध्यम से स्वस्थ बनाने के मद्देनज़र आयोजित इस समारोह में येमकेश्वर के एसडीएम अनिल कुमार चनलियाल ने भी शिरकत की। सुर्योदय के समय तकरीबन 350 लोगों ने पूरे उत्साह के साथ पारम्परिक योग आसनों में हिस्सा लिया, इनमें स्वर्गाश्रम ट्रस्ट के संस्कृत विद्यालय और बाल विद्या निकेतन से 100 छात्र शामिल थे। इस अवसर पर औषधीय गुणों वाले 100 पौधे भी लगाए गए।
इस वर्ष के समारोह के लिए चुने गए आयोजन स्थल की विशेष आध्यात्मिक मान्यता है, क्योंकि यह स्थल भगवान राम की प्राचीन कथा से जुड़ा है। माना जाता है कि रावण को हराने के बाद भगवान राम ने प्रायश्चित के लिए इसी स्थान को चुना था। हालांकि बहती गंगा नदी की आवाज़ों के बीच उनकी एकाग्रता में बाधा आ रही थी। तभी उनके आह्वान पर देवी ने इस स्थान को दिव्य शांति का आशीर्वाद दिया, जबकि ऊपर और नीचे की ओर नदी की आवाज़ें स्पष्ट रूप से सुनाई देती हैं। इसी पावन स्थल पर सुर्योदय के साथ योग सत्र की शुरूआत हुई, जिसमें प्रतिभागियों को प्राणायाम करने का अवसर भी मिला। सत्र के बाद संस्कृति श्लोकों, संकल्प एवं शांति पाठ का आयोजन किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप पूरी दुनिया को योग के माध्यम से स्वस्थ बनाने की सोच के साथ इस समारोह का आयोजन किया गया, जैसा कि उन्होंने मन की बात में भी कहा था। ‘योग’ शब्द संस्कृत के शब्द ‘युज’ से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है ‘एकजुट होना’- योग मन एवं शरीर, व्यक्ति एवं समाज तथा मानवता एवं प्राकृतिक दुनिया की एकजुटता का प्रतीक है।
स्वर्गाश्रम की स्थापना 1906 में श्री रामभगत जी द्वारा की गई थी। 1938 में जुगल किशोर बिरला जी की अध्यक्षता में इसे एक औपचारिक ट्रस्ट का रूप दिया गया। भीड़भाड़ भरे पर्यटक क्षेत्रों से दूर गंगा के किनारे स्थित यह आश्रम आध्यात्मिक अभ्यास के लिए शांतिपूर्ण माहौल प्रदान करता है।
आज के इस समारोह के माध्यम से स्वर्गाश्रम हिंदु धर्म के सभी अनुयायियों को आध्यात्मिक लाभ प्रदान करने के अपने मिशन को आगे बढ़ा रहा है। इसी उद्देश्य के साथ आश्रम कई चैरिटेबल गतिविधियों जैसे आयुवेर्दिक हेल्थकेयर, शिक्षा संस्थानां, निःशुल्क भोजन सेवाओं तथा तीर्थयात्रियों एवं संतों के लिए आवास सुविधाओं में भी सक्रिय है।